गरमी के लंबी छुट्टियों के बाद जब रामू स्कूल जा रहा था तब उसने देखा कि उसके स्कूल के पास मैदान में मशीनों द्वारा खुदाई की जा रही है तब उसने वहां के कुछ लोगों से पूछा तो लोगों ने बताया कि अब वहां factory banegi जब रामू को समझ में आया कि मुलायम घास गेम के फूल एवं तितलियों वालों विशाल मैदान अब हमेशा के लिए नष्ट हो चुका है तो उसकी आंखों से आंसू छलक ने लगे उसने अपने सहपाठियों को बताई सुबह की सभा में प्राचार्य ने भी बहुत उदासी से कहा अब हमारा मैदान हमेशा के लिए नष्ट होने जा  रहा है


कक्षा में पहुंचकर रवि ने अपने शिक्षक से पूछा पर्यावरण क्या है जो कुछ भी आप अपने आसपास देते हो शिक्षक ने बताया

रामूकहने लगा इसका अर्थ है स्कूल भवन 
मेज कक्षा में रखी कुर्सियां यहां तक कि खुला मैदान सड़क कूड़ा करकट मेरे दोस्त यह सभी हमारे पर्यावरण के अंग हैं

हां शिक्षक ने कहा लेकिन जरा रुको कुछ वस्तुओं का निर्माण प्रकृति ने किया है जैसे पर्वत नदियां पेड़ प्राणी जबकि अन्य का निर्माण मानव ने किया है जय श्री सड़क कार कपड़े किताब आदि




प्राकृतिक पर्यावरण


भूमि, जल, वायु, पेड़ पौधे एवं जीव जंतु मिलकर प्राकृतिक पर्यावरण बनाते हैं स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल एवं जय मंडल से आप पहले से ही परिचित होंगे
पृथ्वी की जमीन के अंदर  परत पाई जाती जिसे स्थलमंडल कहते हैं यह चट्टानी एवं खनिजों से बना होता है एवं मिट्टी की पतली परत से ढका होता है यह पहाड़ पठार मैदान घाटी आदि जैसे विभिन्न वाला विषम धरातल होता है यह महादेव के अलावा महासागर की सतह पर भी पाई जाती है

स्थल मंडल व क्षेत्र है जो हमें वन कृषि एवं मानव बस्तियों के लिए भूमि पर आने के लिए घास स्थल प्रदान करता है यह खनिज संपदा का भी स्त्रोत है


जल के क्षेत्र को जलमंडल कहते हैं जल के विभिन्न स्रोतों जैसे नदी झील समुद्रा महासागर आदि जैसे विभिन्न जलाशयों से मिलकर बना है यह सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है

पृथ्वी के चारों ओर फैली वायु की पतली परत को वायुमंडल कहते हैं पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल चारों ओर के वायुमंडल को थाने रखता है सूर्य की जाने वाली गर्मी झुलसा ने वाली गर्मी कारणों से हमारी रक्षा करता है इसमें कई प्रकार की जैसे धूल कण एवं जलवाष्प उपस्थित रहते हैं वायुमंडल में परिवर्तन होने से मौसम एवं जलवायु में भी परिवर्तन होता है

पादप एवं जीव जंतु मिलकर जैव मंडल संसार का
निर्माण करते हैं यह पृथ्वी का शकील क्षेत्र है जहां स्थल जल एवं वायु मिलकर जीवन को संभव बनाते हैं


मानवीय पर्यावरण



मानव अपने पर्यावरण के साथ पारस्परिक क्रिया करता है और उसमें अपनी आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन करता है प्रारंभिक मानव ने स्वयं को प्रकृति के अनुरूप बना लिया था उनको जीवन सरल था एवं आसपास की प्रकृति से उनकी आवश्यकताएं पूरी हो जाती थी समय की आवश्यकता  बड़ी मानव ने पर्यावरण के उपयोग और उसमें परिवर्तन करने के कई तरीके सीख लिए गाड़ी का आविष्कार कर उसने फसल में अधिक अनूप जाया और परिवहन तेज गति से प्रारंभ हुआ सूचना क्रांति से पूरे विश्व में संचार सहज और सरल हो गया


क्या आप जानते हैं कि आप गर्मी में रसीला तरबूज एवं सर्दी में भुनी हुई मूंगफली खाना क्यों पसंद करते हैं प्राकृतिक एवं मानवीय पर्यावरण के बीच सही संतुलन होना आवश्यक है मानव को पर्यावरण के साथ समर सत्ता से रहने एवं उसका उपयोग सीखना चाहिए

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