ग्रह ऐसे खगोलीय पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा करते है यह तारों की तरह स्वयं प्रकाश उत्सर्जित करते हैं किंतु अपने ऊपर पढ़ने वाले सौर प्रकाश को परिवर्तित करते हैं इसलिए यह तारों की तरह चमकदार दिखाई देते हैं

बुध शुक्र पृथ्वी मंगल बृहस्पति एवं शनि की खोज प्राचीन खगोल विदो ने कर ली थी क्योंकि यह सामान्यता है आंखों से देखे जा सकते थे अरुण वरुण और यम की खोज दूरबीन के अविष्कार के बाद की जा सकी इस प्रकार पूर्व में सूर्य के कुल नवग्रह माने जाते रहे जाते रहे प्रत्येक ग्रह अपनी निश्चित पक्ष पर सूर्य की परिक्रमा करता है परंतु प्लूटो को अपने खोज के 76 वर्ष पश्चात विवादों के घेरे में होने के कारण ग्रहों की बिरादरी से अलग कर दिया गया इस प्रकार अब ग्रह कुल 8 ही है

कुछ ग्रहों के ज्ञात उपग्रह है उपग्रह ऐसा खगोलीय पिंड है जो किसी दूसरे ग्रह की परिक्रमा करता है चंद्रमा पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है बृहस्पति सनी वरुण जैसे ग्रहों के एक से अधिक प्राकृतिक उपग्रह है आइए ग्रहों के बारे में जाने

1 बुध

यह सूर्य के सबसे समीप का ग्रह है अधिकांश समय यह सूर्य के प्रकाश के कारण दिखाई नहीं देता सूर्य के निकट होने के कारण यह अत्यधिक गर्म होता है बुध के अधिकांश लक्षण जैसे व्यास और द्रव्यमान चंद्रमा के लगभग समान है चंद्रमा के समान ही बुध पर भी किसी तरह का वायुमंडल नहीं है तथा भारत चट्टानी एवं पर्वतीय है इसका कोई ज्ञात उपग्रह नहीं है

2 शुक्र

यह सूर्य से बढ़ती दूरी के क्रम में दूसरा ग्रह है जितने खगोलीय पिंड है हमें दिखाई देते हैं उन सभी में शुक्र सबसे अधिक चमकीला दिखाई पड़ता है शुक्र के चमकीले पन का कारण उसका घने बादलों से युक्त वायुमंडल है जो अपने ऊपर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश के लगभग तीन चौथाई भाग को परिवर्तित कर देता है सूर्योदय से कुछ पहले तथा सूर्यास्त के तुरंत बाद इसके पास चमकीले तारे जैसा दिखाई देता है या नहीं है फिर भी इस की चमक के कारण इसे भोर का तारा तथा संध्या का तारा भी कहा जाता है पृथ्वी के द्रव्यमान का 4/5 है जबकि दोनों का व्यास लगभग समान है शुक्र का अपना कोई उपग्रह नहीं है  

3 पृथ्वी


सूर्य से दूरी के क्रम में पृथ्वी का स्थान तीसरा है अज्ञात ग्रहों में पृथ्वी के अलावा अन्य किसी ग्रह पर जीवन नहीं है पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा 365 दिन में पूरा करती है उसे अपने लक्ष्य पर एक पूर्ण घूर्णन में 24 घंटे लगती है जिसके कारण दिन और रात होते हैं पृथ्वी अपने अक्ष पर थोड़ी झुकी हुई है जिसके कारण ऋतु परिवर्तन होते हैं पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा है चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करने के साथ-साथ पृथ्वी सहित सूर्य की प्रतिमा भी करता है या अपने ऊपर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश को हमारी ओर परावर्तित कर देता है इस चंद्रमा का वहां भाग देख पाते हैं जो हमारी ओर होता है


4 मंगल

सूर्य से बढ़ती दूरी के क्रम में यह आग लग रहा है यह लाल रंग का दिखाई देता है पताही से लाल ग्रह भी कहते हैं वर्ष के अधिकांश दिनों में यहां पृथ्वी से दिखाई देता है मंगल की त्रिज्या पृथ्वी की त्रिज्या की आधे से कुछ अधिक है लेकिन इसका द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का 1/9 गुना है इस ग्रह में जल और जीवन प्राप्ति के कोई पुष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं फिर भी गोकुल विधि इसकी खोज के लिए शोध कार्य कर रहे हैं इसके दो प्राकृतिक उपग्रह हैं


5 बृहस्पति

सभी ग्रहों में बृहस्पति सबसे बड़ा है इसका द्रव्यमान शेष ग्रहों के कुल द्रव्यमान से भी अधिक है सूर्य से बृहस्पति की दूरी उससे पहले चार ग्रहों की सूर्य से दूरी ओ को जोड़ने से प्राप्त दूरी से अधिक है सूर्य से इस तक पहुंचने वाली उस्मा तथा प्रकाश की मात्रा पृथ्वी और मंगल की अपेक्षा कम है किंतु यहां ग्रह शुक्र तथा कभी-कभी मंगल के अतिरिक्त अन्य ग्रहों की तुलना में अधिक चमकदार दिखाई देता है इसका कारण इसके घने वायु मंडल द्वारा परिवर्तित कर देना है बस पति के 28 प्राकृतिक उपग्रह है

6 श नि

सूर्य से दूरी के क्रम में यहां छठवें स्थान पर है सूर्य से इसकी दूरी बृहस्पति के दूरी से लगभग दोगुनी है द्रव्यमान और संरचना में यहां बृहस्पति जैसा ही है किंतु यहां बृहस्पति की तुलना में ठंडा है इसके चारों और पाए जाने वाले तीन वलियों के कारण यह अन्य ग्रहों से सुंदर दिखाई देता है इन वलियों को दूरबीन की सहायता से देखा जा सकता है सनी के ग्रहों की संख्या 30 है

7 अरुण

दूरबीन की सहायता से खोजा गया यह पहला ग्रह है सूर्य से इसकी दूरी सनी से सूर्य की दूरी की लगभग दोगुनी है इसके ज्ञात ग्रहों की संख्या 21 है

8 वरुण

सूर्य से दूरी के क्रम में यह आठवां ग्रह है इस के उपग्रहों की संख्या 88 सूर्य से अधिक दूरी के कारण या ठंडा 

9 प्लूटो /यम

सभी ग्रहों की तुलना में सूर्य से सर्वाधिक दूरी पर स्थित या पिंड आकार में बहुत छोटा है सूर्य से प्रकाश को इस तक पहुंचने में 32 घंटे का समय लगता है कई वर्षों से प्लूटो को ग्रह माने जाने पर विवाद चलता रहा है अंततः 24 अगस्त सन 2006 को अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान संघ की प्राग में हुई बैठक में ग्रह की परिभाषा निश्चित कर दी उनके अनुसार ग्रह को कहा जाएगा

1 जो सूर्य का चक्कर लगाता हो

2 जिसमें इतना द्रव्यमान हो कि गुरुत्वाकर्षण के कारण आकार गोल हो

3 जिसका परिक्रमा पथ साफ हों

4 जिसमें अन्य खगोलीय पिंड मौजूद ना हो

अब प्रश्न यह उठता है कि प्लूटो ग्रह क्यों नहीं है?


प्लूटो सूर्य का चक्कर अवश्य लगाता है परंतु यहां छोटा और कम द्रव्यमान होने के कारण पूर्णता है गोल नहीं है दीर्घ वृत्ताकार लगभग अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाने के दौरान वह नेपच्यून की कक्षा को काटते हुए भीतर चला आता है इसके अलावा अन्य ग्रह लगभग एक ही पल में सूर्य की परिक्रमा करते हैं जबकि प्लूटो इनमें लगभग 17 अंश का कोण बनाता है इन सब कारणों से उसे ग्रहों की बिरादरी से बाहर कर दिया गया है और इसे वामन ग्रह का दर्जा दिया गया है

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