प्रस्तावना- वनों या वृक्षों का भारतीय संस्कृति से बड़ा महत्व रहा है हमारे यहां लोग प्राचीन काल से लेकर आज तक वनों की पूजा करते आ रहे हैं पीपल का वृक्ष तो वासुदेव भगवान का प्रतीक माना जाता है लाभा लाभ दृष्टिकोण से भी वन एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है किसी भी देश की आर्थिक विकास में वनों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है वन कृषि, उद्योग, यातायात में सहायक तो है ही इनसे अन्य महत्वपूर्ण लाभ भी हैं वनों से लाभ दो प्रकार से प्राप्त होते हैं प्रत्यक्ष लाभ और अप्रत्यक्ष लाभ





प्रत्यक्ष लाभ(1) वनों से हमें उद्योगों को आश्रय मिलता है जैसे सवाई घास और बांस से कागज बनाया जाता है वनों से रबड़ शहद गोंद चंदन आदि प्राप्त किया जाता है



(2) वनों से बहुत कीमती लकड़ियां प्राप्त की जाती है जिनसे जहाज रेल के डिब्बे दरवाजे खिड़कियां आदि अनेक प्रकार की वस्तुएं बनाई जाती है


(3) पशुओं के लिए उत्तम चारागाह प्राप्त होते हैं



(4) वन क्षेत्रों में प्राकृतिक सौंदर्य पर्यावरण के आकर्षण के केंद्र होते हैं



(5) वन वन्य प्राणियों के आवास व सुरक्षा स्थल है



(6) वनों के कंद मूल फल और फलों से अनेक औषधियों का निर्माण होता है



( 7) वनों से खाद प्राप्त होता है



(8) वनों से सरकार को आय होती है भारत को वनों से करोड़ों का लाभ होता है





अप्रत्यक्ष लाभ



(1) वनों वर्षा कराने में सहायक होती है



(2) वनों से रेगिस्तान बनने की संभावना नहीं रहती




(3) वन बाढ़ पर तापक्रम पर नियंत्रित रखते हैं



(4) वन क्षेत्रों में पानी का जलस्तर ऊंचा रहता है



(5) यह नदी के निरंतर बहाव को संभव बनाते हैं



(6) वन प्रदूषण को रोकने और पर्यावरण को स्वच्छ बनाते हैं






निर्दय कटाई से उत्पन्न समस्याएं




मानव ने अपने व्यक्तिगत क्षणिक लाभ के कारण पेड़ों पर अंधाधुंध कुल्हाड़ी चलाई है उसके भयंकर परिणाम सामने आ रहे हैं जहां जहां जंगल कट रहे हैं वहां वहां भूमि क्षरण के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो गई है कारों का निर्माण हुआ है वन क्षेत्र के कम होने से वनों पर भी प्रभाव पड़ा है परिणाम स्वरूप उपजाऊ इलाके रेगिस्तानी भूमि में बदल रहे हैं इस प्रकार जैसे-जैसे वन क्षेत्र कम हो रहे हैंवैसे वैसे प्रदूषण भूमि क्षरण बाढ़ आदि की भयंकर समस्या बढ़ती जा रही है



वृक्षारोपण  या वन महोत्सव





वनों के महत्व को ध्यान में रखकर ही सन् 1950 से देश में वन महोत्सव का कार्यक्रम रखा गया संजय गांधी ने 5 सूत्रीय कार्यक्रम और इंदिरा गांधी ने 20 सूत्रीय कार्यक्रम में वृक्षारोपण को एक विशिष्ट कार्यक्रम घोषित किया तब से आज तक इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता मिल रही है हमारी सरकार इस संबंध में सजग है वह त्वरित कदम उठा रही है




उपसंहार




हमारा भी कर्तव्य है कि हम वृक्षारोपण को एक धार्मिक किया राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाए हर भारतीय के मन में यह भावना जागृत होनी चाहिए निश प्रयोजन वृक्ष की डालिया तक को ना काटे वृक्ष लगाएं और लगाने के लिए प्रोत्साहित करें वृक्ष की माता के संबंध में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था


उगता हुआ वृक्ष उभरते हुए राष्ट्र का प्रतीक होता है








21वीं सदी का भारत






प्रस्तावना




21वी सदी का भारत एक नवजात शिशु की तरह निरंतर वृद्धि का एवं विकास समान राष्ट्र होगा वह ऐसा वटवृक्ष होगा जिसकी जड़ें गहरी होंगी वह गौरवशाली परंपराओं से रसग्रहण करती हुई नित्य नई शाखाओं को करने में समर्थ होगी


वह वटवृक्ष प्रत्येक पक्षी और पथिक को आश्रय एवं व्यवहार प्रदान करने वाला स्थाई स्रोत होगा




21वी सदी में प्रवेश






20 फ़ीसदी नित्य नए उतार-चढ़ाव परिवर्तन एवं संघर्षों से परिपूर्ण रही है इसके पूर्व वर्धक में 2 विश्व युद्ध हुए हैं जिसके कारण भगवान और विधान दोनों के प्रति जन सामान्य की अस्थाई डगमगा गई


इसी कालावधि में भारत का विभाजन एवं संप्रदायिक रक्त रंजित नरसंहार हुआ सत्य और अहिंसा के अवतार महात्मा गांधी की हत्या भी इसी सदी में देखी



कहने का यह तात्पर्य है कि वस्तुतः 20 वीं सदी का वातावरण अनेक प्रेरणा से एवं विसंगतियों से संतुलित रहा



21वीं सदी के कर्ण आधार नागरिक बीसवीं सदी की विषमताओं से विहीन एवं समस्त पूर्वाग्रहों आदि से मुक्त होंगे वहांभारत के निर्माण में प्राण से संलग्न हो जाएंगे या नया पीढ़ी प्रगति पथ पर अतीत से सुपौल बटोरी गी




विज्ञान एवं कंप्यूटर




पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तथा कंप्यूटर के सहारे भारत को 21वीं शताब्दी में ले जाने को निरंतर प्रयत्नशील थे वह इसी मार्ग से 21वीं सदी में प्रवेश करना चाहते थे वस्तुतः तकनीकी उन्नति की मांग ही है कि हम ज्ञानेंद्रियों की क्षमता में वृद्धि करने वाले उपकरणों का नित्य नया विकास करें





अध्यात्मिकता





हमारे परिकल्पना है कि 21वीं सदी के भारत में मनीष जी संत श्रेष्ठ वैज्ञानिक तथा शक्ति संपन्न राजपुरुष मानव होंगे भारत की आत्मिक शक्ति नए रूप में प्रस्फुटित होंगी और पूर्व वे के साथ प्रवाह मान होंगी 21वीं सदी के भारत के सम्मुख गौरवशाली परंपराओं के वरदान के साथ परंपरागत समस्याओं के अभिशाप भी होंगे सामाजिक राजनैतिक सांस्कृतिक शैक्षिक आदि सभी प्रकार की समस्याएं अपना समाधान नए सिरे से चाहेंगी 21वीं सदी के भारत में गांधीवादी जीवन दर्शन कथनी की उपेक्षा करके करने का वरण कर चुका है तब बापू ने सुख सपना को सकार करने वाला रामराज्य हमारा जीवन आदर्श होगा उसकी परंपराएं हमारा जीवन मूल्य होंगी तब राजनीति का भी धर्म होगा और धर्म की राजनीति होगी प्रत्येक भारतवासी अपने गुण स्वभाव के अनुसार अपने जीवन का निर्माण करने के लिए स्वतंत्र होगा




शिक्षा दीक्षा



21वीं सदी की शिक्षा नीति भारत को नया मानव प्रदान करेगी उच्च शिक्षा पद्धति के अंतर्गत बालक को भीड़ के अंग के रूप में नहीं एक स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में शिक्षित प्रशिक्षित होने के अवसर प्रदान किए जाएंगे उनको ना तो कोरा कागज समझा जाएगा जिसमें चाहे कुछ लिखा जा सके और ना उनको एक खाली बर्तन ही समझा जाएगा जिसमें चाहे कुछ भी भर दिया जाए उसको एक विकासशील पौधे की तरह विकसित होने के लिए उन्मुक्त एवं उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराया जाएगा इसका निर्माण समर्पित शिक्षकों के हाथों में होगा प्रत्येक स्तर पर रोजगार परक शिक्षा की व्यवस्था होगी 



अपने आप को भारतीय कहने में आत्म गौरव का अनुभव करें






उपसंहार



इस प्रकार 21 वी सदी का भारत सही अर्थों में भारतीय मानव वाला देश होगा इनमें अपनी जन्मभूमि संस्कृति भाषा आदि के प्रति बहुत आस्था होगी छुआछूत ऊंच-नीच धनी निर्धन राजा रंक का यहां नाम भी नहीं होगा ईश्वर करे कि 21वीं सदी में भारत का स्वरूप हमारी कल्पना से भी अधिक समृद्ध एवं श्रेष्ठ हो











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