सच्चे मित्र





एक बार एक तालाब के पास दो हंस और एक कछुआ रहते थे कछुआ और दोनों आपस में बहुत अच्छे मित्र थे



उन तीनों को उस तालाब में पेट भर कर खाने को मिलता था



तीनों बहुत आनंद से अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे ग्रीष्म ऋतु आने पर जब तालाब सूख गया तो तीनों मित्रों को भोजन और पानी की कमी होने लगी



तब दोनों हंसों ने कहा तुम इतने दुखी क्यों हो गए




कछुआ यहां जानता था कि वह दोनों हंस की तरह उड़ नहीं सकता फिर उसे यह भी पता था कि वहां बहुत धीमी चाल से चलता है इस कारण उसने दुखी होकर अपने मित्रों से कहा




मैं तुम्हारे साथ बहुत दूर तक कैसे चलूंगा मैं उड़ भी नहीं सकता तुम दोनों जब उठ कर चले जाओगे तो मुझे बहुत याद आया करोगे




कछुए की बात सुनकर दोनों हंस एक पेड़ की शाखा लाएं और कछुए से कहा


तुम्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं



हम दोनों तुमको अपने साथ ले जाएंगे अब तुम इस छड़ी को बीच से अपने मुंह में पकड़ लो पर ध्यान रखना कि तुम्हें कुछ बोलना नहीं है क्योंकि जैसे तुम मुंह खोलो गे वैसे ही नीचे गिर पड़ोगे और मर जाओगे




अब तीनों मित्र अपने इस विधि अनुसार आकाश में उड़ते हुए चल पड़े दोनों हंस बड़ी समझदारी से अपनी अपनी चोटों में छड़ी का एक एक कोना  पकड़े हुए थे



और बीच में कछुआ था कुछ देर बाद कछुए के कानों में कुछ लोगों की चिल्लाने की आवाज आई



देखो देखो आकाश में कछुआ और दो हंस उड़ रहे हैं



कुछ मैंने सोचा यह लोग मेरी हंसी उड़ा रहे हैं मुझे इन को ठीक करना है जैसे ही उसने कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोला वैसे ही वह जमीन पर गिर पड़ा और मर गया



दोनों हम सबको अपने मित्र कछुए की गलती का बहुत दुख हुआ पर अब वे दोनों कुछ कर नहीं सकते थे




अतः वे दोनों कहीं दूर दूसरे तालाब पर जाकर रहने लगे



शिक्षा



कहानी तो हमने कछुए और खरगोश के दौड़ की भी सुन रखी है पर उस समय कछुआ यह जानता था कि खरगोश तेज दौड़ता है और वहां धीमी चाल चलता है इस कारण व ह अपनी समझ के अनुसार चलता रहा और खरगोश से पहले पहुंचकर दौड़ जीत ली




परंतु यहां कछुए की सबसे बड़ी गलती यह हुई कि उसने अपने सच्चे मित्रों की बात पर ध्यान ना दें कि उन लोगों की हंसी मजाक पर ध्यान दिया जो उसका कुछ भला नहीं कर रहे थे


उसका परिणाम हुआ काकी उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा



हमें अपने जीवन में यह सीखना है कि चाहे कोई हमारी हंसी मजाक उड़ाए यह हम से मुकाबला करें हमें अपनी समझ का सहारा लेते हुए केवल अपना भला चाहने वालों की बात अवश्य सुननी चाहिए




कछुए के दोनों हंस मित्रों ने तालाब सूखने पर कछुए को वहां अकेला नहीं छोड़ा संकट में भी उसका साथ दिया पर कछुए ने अपने अच्छे सच्चे मित्र की बात पर ध्यान नहीं दिया वास्तव में सुनना यदि चांदी है तो चुप रहना सोना है






मां की सीख




चेतन अपनी मां के साथ एक बहुत अच्छे घर में रहता था


वह बहुत अच्छा लड़का था और वहां हमेशा अपनी मां का कहना मानता था चेतन की मां बहुत अच्छे पकवान बनाती थी चेतन को पकवान खाना बहुत पसंद था


1 दिन चेतन के माने बहुत बढ़िया को पकवान बनाकर एक बड़े जार में रख दी और फिर बाजार चली गई



बाजार जाने से पहले चेतन की मां उसको कह गई थी




कि अपना ग्रह कार्य समाप्त करने के बाद वह कुकीज खा सकता है




चेतन बहुत खुश हुआ उसने जल्दी से अपना ग्रह कार्य समाप्त करके अपनी मां के लौटने से पहले ही कुकीज़ खानी चाहिए




इसलिए वहां एक स्टूल पर चढ़ गया फिर उसने जार के अंदर हाथ डालकर ढेर सारी कुकीज़ निकालने की कोशिश की


पर जार का मुंह छोटा होने के कारण वह अपना हाथ बाहर नहीं निकाल सका उसी समय उसकी मां बाजार से लौट आई जब उसने चेतन को देखा तो वहां हंसने लगी और उसने अपने बेटे चेतन से कहा



चेतन आंख से ढेर सारी कुकीज़ छोड़कर केवल दो या तीन कुकीज हाथ में पकड़ कर हाथ बाहर निकालो




मां की बात मानकर जब उसने सिर्फ दो cookies हाथ में पकड़ी तब वह आसानी से अपना हाथ बाहर निकाल सका


तब उसकी मां ने प्यार से कहा ऐसा करने से तुमने क्या सीखा



चेतन ने कहा मैंने सीखा की किसी चीज का लालच अच्छी बात नहीं है हमें हर चीज उतनी ही लेनी चाहिए जितने हमें जरूरत हो







                            

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