ईमानदारी की परीक्षा



किसी जमाने की बात है एक राजा अपनी नगरी में खुशी से राज करता था एक दिन एक सन्यासी राज दरबार में आया राजा ने उसे बड़े आदर के साथ उनका सम्मान किया



राजा आइए महाराज आइए आपका स्वागत है


सन्यासी चिरंजीवी भवा राजन तुम्हारे राज्य में सब कुशल मंगल तो है


राजा मुझे कोई चिंता नहीं स्वामी मेरी राज्य की रक्षा के लिए वीर सैनिक तैनात मेरे बुद्धिमान मंत्री और वीर सैनिक मेरे लिए अपनी जान भी दे सकते हैं और मुझे क्या चाहिए



सन्यासी क्या यह सच है लेकिन मैं नहीं मानता कि वे लोग तुम्हारे लिए जान भी दे सकते हैं



राजा नहीं स्वामी मैं सच कह रहा हूं वो सब हमेशा कहते हैं कि वह मेरे लिए अपनी जान भी दे सकते हैं


सन्यासी लेकिन मुझे तो शंका है कोई भी दूसरे के लिए अपनी जान नहीं देता


राजा अगर आप चाहे तो आप उनकी परीक्षा ले सकते हैं



सन्यासी तो फिर ठीक है कल तुम तुम्हारे सारे मंत्री सैनिक और अन्य गणों को दरबार में बुलाओ उनकी परीक्षा लूंगा



अगले दिन राज दरबार में सभी लोग उपस्थित हो गए


सन्यासी राजन क्या तुम्हारे सारे लोग यहां आ गए


राजा जी हां स्वामी आप अपनी परीक्षा प्रारंभ कर सकते हैं


सन्यासी क्या तुम अपने राजा के लिए जान दोगे



मंत्री गढ़ हां हम अपने राजा के लिए जान दे देंगे महाराज की जय हो ,महाराज की जय हो,



सन्यासी तुम्हारे राजा के उज्जवल भविष्य के लिए मैं एक पूजा करना चाहता हूं पूजा के लिए मुझे बहुत सारे दूध की जरूरत है


पूर्णमासी के दिन मैं वह पूजा आरंभ करूंगा उस दिन यहां पर एक बहुत बड़ा बर्तन रखा हो जाएगा मैं चाहता हूं तुम सभी लोग उसमें एक एक कटोरा दूध डालो



मंत्री गण जरूर महाराज ऐसा ही करेंगे


पूर्णमासी के दिन सभी नागरिकों ने एक एक कटोरा दूध लाकर वहां रखे हुए बहुत बड़े बर्तन में जमा कर दिया बाद में राजा ने उस बर्तन में झांक कर देखा तो उसे बहुत आश्चर्य हुआ



क्योंकि वह बर्तन तो सिर्फ पानी से भरा था


सन्यासी देखा राजन क्या तुम देख रहे हो जो मैं भी देख रहा हूं क्या अब तुम अपने आदमी की असलियत जान रहे हो



इसमें तो दूध होना चाहिए लेकिन इसमें तो पानी भरा है तुम्हें अपने किसी भी आदमी में अंधवश्वास नहीं करना चाहिए


राजा जैसी आज्ञा स्वामी अब मैं सच्चाई जान चुका हूं



हर एक व्यक्ति ने यही सोचा कि सभी लोग तो दूध डालेंगे तो फिर मेरे एक कटोरे पानी से क्या फर्क पड़ेगा ऐसा विचार करके सभी ने उसमें पानी डाल दिया ये

वही लोग थे जो राजा के लिए अपनी जान देंगे ऐसा कहते थे यह दुनिया ऐसी ही होती है






काम ही पूजा है






एक छोटे से गांव में एक गरीब आदमी अपने छोटे से झोपड़े में रहता था एक दिन उसने बहुत सारी संपत्ति का सपना देखा जागने के बाद उसने सोचा कि काश उसके पास ऐसा कोई राक्षस हो जो उसकी


हर इच्छा पूरी कर देता यही इच्छा मन में रखकर वह जंगल में एक सन्यासी के पास गया जो एक पेड़ के नीचे बैठे थे उस आदमी ने उन्हें प्रणाम किया



सन्यासी क्या चाहिए तुम्हें मेरे पास क्यों आए हो?


आदमी स्वामी जी मैं चाहता हूं कोई राक्षस मेरे लिए काम करें



सन्यासी तुम काम से इतना भाग क्यों रहे हो काम ही पूजा है जाओ तुम तुम्हारा काम करो



वो आदमी चला गया लेकिन अगले दिन वह फिर से उस सन्यासी के पास गया और उनसे वही मांग की



सन्यासी ठीक है मैं तुम्हें एक मंत्र सिखाता हूं इस मंत्र को पढ़ने से एक राक्षस तुम्हारे काम करने के लिए प्रकट होगा लेकिन उस राक्षस को तुम कभी भी बिना काम के नहीं रख सकते उसे हमेशा काम देना



आदमी अगर मैं उससे काम ना दे सका तो




सन्यासी तो वह तुम्हें ही खा जाएगा



आदमी ठीक है कृपया आप वह मंत्र मुझे सिखाइए



एक पेड़ के नीचे बैठकर उस गरीब आदमी ने उस मंत्र का जाप करना शुरू किया अचानक वहां धुए से राक्षस प्रकट हुआ


राक्षस मैं तुम्हारा गुलाम हूं लेकिन तुम मुझे हमेशा काम देते रहना अगर तुमने मुझे काम नहीं दिया तो मैं तुम्हें ही खा जाऊंगा




आदमी तो मेरे लिए एक राजमहल बनाओ उस राक्षस ने हवा में अपना हाथ हिलाया और वहां एक राजमहल बन गया


यह लो तुम्हारा महल


आदमी मुझे अलग ना सोने के सिक्के जेवर हीरा संपत्ति ला कर दो



राक्षस ने फिर से हवा में हाथ हिलाया यह लो तुम्हारी संपत्ति




उस आदमी ने जंगल की तरफ इशारा करते हुए कहा वहां मेरे लिए एक सुंदर नगर निर्माण करो




राक्षस ठीक है यह तो मैं चुटकी में कर दूंगा राक्षस ने फिर से हाथ हिलाया देखो तुम्हारा नगर तैयार है ठीक है मुझे कुछ और काम दो नहीं तो मैं तुम्हें ही अपना भोजन बना लूंगा




आप तो उस गरीब आदमी के पास काम देने के लिए कुछ नहीं था उस राक्षस ने उस गरीब आदमी को परेशान करना शुरू कर दिया किसी तरह उससे पीछा छुड़ाकर वह गरीब आदमी उस सन्यासी के पास मदद मांगने के लिए दौड़ा




आदमी महाराज कृपया मेरी मदद कीजिए वह राक्षस मुझे मार देगा



सन्यासी क्या हुआ?


आदमी वह राक्षस मेरा पीछा कर रहा है मैं उसे कोई भी काम देने के लिए असमर्थ हूं कृपया मेरी मदद कीजिए



सन्यासी तुमने मेरे कहने पर ध्यान नहीं दिया और अब यह तुम्हें भुगतना ही पड़ेगा पर ठीक है चलो मैं तुम्हें इस परिस्थिति से निकलने का मार्ग बताता हूं लेकिन इसके बाद अपने जीवन में अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करना सीखो


जाओ कहीं से एक कुत्ता ले आओ वह कुत्ता उस राक्षस को दे दो


वो गरीब आदमी कहीं से कुत्ता ले आया उस राक्षस के कहना कि इस कुत्ते की पूंछ को सीधा करें


राक्षस कहां गए थे तुम काम दो मुझे नहीं तो मैं तुम्हें खा जाऊंगा



आदमी तुम मुझे नहीं खा सकते मैं तुम्हें काम दे रहा हूं इस कुत्ते की पूंछ सीधी करो


राक्षस है तो मैं चुटकी भर में कर दूंगा



उस राक्षस ने कुत्ते की पूंछ को सीधा करने की बहुत कोशिश की लेकिन वह नहीं कर सका आखिर वह राक्षस वहां से भाग गया


वहां आदमी से एक बार गरीब हो गया


सन्यासी देखा तुम्हारे लालच से तुमने अपने लिए मौत का रास्ता चुना था



अपने लालच के कारण उस आदमी ने अपने आप को कैसे मुश्किल में डाल दिया इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम सब खूब काम करो और हमेशा काम को ही पूजा समझो





                   कर्तव्य





एक घने जंगल में एक साधु एक पेड़ के नीचे बैठकर तब कर रहा था उसी पेड़ के ऊपरी शाखा पर एक कौआ और एक बगुला आपस में झगड़ा कर रहे थे



उसी वक्त कौवे के कुछ पंख साधु के शरीर पर गिरे साधु को बहुत गुस्सा आया



साधु कौन है वहां तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी ध्यान भंग करने की


और अगले ही क्षण वो दोनों पक्षी राख का ढेर बन गए



साधु वाह मेरा तप सफल हुआ मैं कामयाब हुआ मुझे दिव्य शक्ति मिल गई



साधु एक छोटे से गांव में पहुंचा और वहां एक छोटी सी कुटिया के सामने जाकर खड़ा रहा


साधु माते मैं एक साधु हूं कृपया मुझे खाने के लिए कुछ दे दीजिए मैं बहुत भूखा हूं

उस कुटिया के अंदर से एक औरत ने जवाब दिया कृपया प्रतीक्षा करो बेटा



साधु को तब गुस्सा आया

जल्दी करो माते तुम नहीं जानती मैं कौन हूं मैं एक बहुत बड़ा साधु हूं


अपने आप को इतना बड़ा मत समझो बेटा तुमने क्या समझ रखा है मैं कोई कौआ या बगुला शांत रहो


आचार्य होकर वो साधु वहीं पर खड़ा रहा और उस औरत की राह देखने लगा


कुछ देर बाद उस कुटिया से एक औरत बाहर आई उसने उस साधु को भोजन दिया


वह साधु उस औरत के सामने नतमस्तक हो गया



माते आपने जंगल में घटी घटना कैसे जान ली मेरे मन का विचार आपने कैसे जान लिया



देखो ना तो मैं तुम्हारी जैसी कोई महान साधु हूं और ना मैं ध्यान धारणा करती हूं मैं तो हर रोज अपना कर्तव्य अच्छी तरह से निभाती हूं


मेरे पति बहुत बीमार है मुझे उनकी पूरी तरह से देखभाल करनी पड़ती है और इसीलिए मैंने तुम्हें थोड़ी देर रुकने के लिए कहा




जिंदगी भर इसी कर्तव्य ने ही मुझे शक्ति दी है कि मैं तुम्हारे मन की बात जान सकूं




साधु माते कृपया मुझे बताइए मेरे मन के ज्ञान की तीसरी आंख कब खुलेगी कृपया मुझे रास्ता बताइए



मुझे जो भी पता था मैंने तुम्हें बता दिया अगर तुम कुछ और जानना चाहते हो तो तुम करीब के गांव में जाओ वहां एक कसाई से मिलो


साधु उस करीबी गांव में गया



जहां वह कसाई रहता था



कसाई आइए स्वामी जी क्या उसी औरत ने मिलने के लिए कहा है जिसने आपको भोजन दिया



साधु हां हां तुम्हें कैसे पता चला





कसाई यही नहीं मुझे जंगल में घटी हुई घटना भी पता है जरा रुकिए मैं अभी वापस आता हूं कसाई घर के अंदर गया और कुछ देर बाद वापस आया




हमारा जीवन अपने आप में ही एक कर्तव्य कर्म है अगर हम उसे अच्छी तरह से निभा सके तो फिर हम अपने जीवन में हर चीज पा सकते हैं एक विद्यार्थी का कर्तव्य है कि वह अपने पढ़ाई ध्यान से और अच्छी तरह से करें

एक साधु होने के पश्चात आपका यह कर्तव्य है कि संसार की शांति के लिए आप अपना कर्म करें लेकिन अब मेरा कर्तव्य तो मेरी दुकान को खोलना है



इसलिए मुझे आज्ञा दीजिए स्वामी और वह साधु अपने रास्ते अपना कर्तव्य करने के लिए चला गया




हमें अपना आत्म ज्ञान पाने का एक ही रास्ता है और वह है कि हम हमारा कर्तव्य बहुत ही सच्चे दिल से करें और सही रास्ते में जाकर करें


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