एक जंगल में एक खरगोश और कछुआ रहते थे
खरगोश को बड़ा घमंड था कि वह तेज दौड़ सकता है वह कछुए की धीमी चाल को देखकर हंसी उड़ाता था
ऐसे में एक दिन
खरगोश-क्यों कछुआ काका क्या तुम मेरे साथ दौड़ लगाओगे
कछुआ क्यों नहीं
हम दोनों में से जो जीतेगा वह सबसे तेज दौड़ने वाला होगा
अब यह दौड़ को देखने के लिए सारे जानवर बड़ी उत्सुकता के साथ वहां पहुंचे
हम दोनों में से जो दूर पहाड़ी वाले जगह पर पहुंचेगा समझो वह जीता
कछुआ ठीक है।
दौड़ शुरू हुई
खरगोश तेज दौड़ने लगा कुछ हुआ धीरे धीरे चलने लगा
खरगोश और तेज दौड़ने लगा कुछ वो धीरे धीरे चल रहा था
अब इस तरह थोड़ी दूर जाने के बाद खरगोश गाजर खाने के लिए रुक गया
उसे कछुआ कहीं दिखाई नहीं दिया
खरगोश यह कछुआ अभी नहीं आने वाला चलो थोड़ी देर आराम कर ले
अब ऐसे आराम करते करते खरगोश को नींद आ गई
कछुआ धीरे-धीरे खरगोश के पास पहुंचा
और उसे देखकर वह खरगोश को छोड़कर आगे की ओर चल पड़ा
और जब खरगोश की नींद खुली तो
वह आगे की ओर दौड़ने लगा वहां पहुंचकर उसने कछुए को देखा तो कहा
दोस्तों तुम ही जीते मुझे माफ करो
Post a Comment