बहुत समय पहले की बात है किसी गांव में बाबूलाल नाम का एक पेंटर रहता था वह बहुत ईमानदार था किंतु गरीब होने के कारण वहां हर घर जाकर पेंट किया करता था उसकी आमदनी बहुत कम थी बहुत मुश्किल से उसका घर चलता था
पूरा दिन मेहनत करने के बाद वह दो वक्त की रोटी जुटा पाता वह हमेशा चाहता था उसे कोई बड़ा काम मिले
जिससे उसकी आमदनी अच्छी हो पर वहां छोटे-छोटे आए काम भी बड़ी लगन और ईमानदारी से करता था
1 दिन गांव के जमीदार ने उसे बुलाया और कहा सुनो बाबूलाल मैंने तुम्हें यहां एक बहुत जरूरी काम के लिए बुलाया है क्या तुम वह काम करोगे
बाबूलाल जी हुजूर मैं जरूर करूंगा बताइए क्या काम है
जमीदार मैं चाहता हूं कि तुम मेरी नाव पेंट करो और यह काम आज ही हो जाना चाहिए
बाबूलाल जी हुजूर यह काम मैं आज ही कर दूंगा
नाव पेंट करने का काम पाकर बाबूलाल बहुत खुश हो गया
जमीदार अरे वह सब तो ठीक है पर तू पहले यह तो बता इस काम के पैसे कितने लोगे
बाबूलाल वैसे तो इस काम के 15 सौ रुपए लगते हैं बाकी आपको जो पसंद आए दे देना
जमीदार ठीक है तुम्हें 15 सौ मिल जाएंगे पर काम अच्छा होना चाहिए
बाबूलाल आप चिंता मत कीजिए आपका काम बढ़िया ही मिलेगा जमीदार उसे अपनी नाव दिखाने नदी किनारे ले जाता है नाव देखने के बाद बाबूलाल जमीदार से थोड़ा समय मांगता है
और रंग का सामान लेने चला जाता है सामान लेकर जैसे ही बाबूलाल आता है वह नाम कोरंगा शुरू कर देता है जब बाबूलाल नाव को रंग रहा था उसने देखा अरे नाम है तो छेद है
अगर इसे ऐसे ही पेंट कर दूंगा तो यह नाव डूब जाएगी
पहले इस छेद को ही बंद करता हूं ऐसा कह कर वह छेद को बंद कर देता है फिर वहां जमीदार के पास जाता है और कहता है
बाबूलाल हुजूर नाम का काम पूरा हो गया है आप चल कर देख लीजिए
जमीदार ठीक है चलो
फिर वे दोनों नदी किनारे पहुंच जाते हैं ना को देखकर जमीदार बोलता है
जमीदार अरे वाह बाबूलाल तुमने तो बहुत अच्छा काम किया है ऐसा करो तुम कल सुबह आकर अपना पैसा ले जाना
बाबूलाल ठीक है हुजूर
फिर वह दोनों अपने अपने घर चले जाते हैं जमीदार के परिवार वाले उसी नाव में अगले दिन घूमने जाते हैं शाम को जमीदार का नौकर रामू जो उस नाव की देखरेख करता था
छुट्टी से वापस आता है और परिवार को घर में ना देख जमीदार से परिवार वाले के बारे में पूछता है
जमीदार उसे सारी बात बताता है जमीदार की बात सुन कर रहा हूं चिंता में पड़ जाता है उसे चिंतित देखकर जमीदार पूछता है
जमीदार क्या हुआ रामू यह बात सुनकर तुम चिंतित क्यों हो गए
रामू सरकार लेकिन उस नाव में तो छेद थी
रामू की बात सुनकर जमीदार भी चिंतित हो जाता है तभी उसके परिवार वाले पूरे दिन मौज मस्ती करके वापस आ जाते हैं
उन्हें सकुशल देखकर जमीदार चैन की सांस लेता है फिर अगले दिन जमीदार बाबूलाल को बुलाता है और कहता है
यह लो बाबूलाल तुम्हारा पैसा तुमने बहुत बढ़िया काम किया मैं बहुत खुश हूं
बाबूलाल पैसे लेकर गिनता है तो हैरान हो जाता है क्योंकि वहां पैसा ज्यादा थे वह जमीदार से कहता है
रामू हुजूर आप के मुझे गलती से ज्यादा पैसे दे दिए हैं
जमीदार नहीं बाबूलाल लिए मैंने तुम्हें गलती से नहीं दिए हैं यह तुम्हारे मेहनत का ही पैसा है
बाबूलाल लेकिन हुजूर हमारे बीच तो 1500 रुपए की बात हुई थी यह तो 6000 रुपए हैं
जमीदार क्योंकि तुमने एक बहुत बढ़िया काम किया है
बाबूलाल कैसा काम हुजूर
जमीदार तुमने इस नाव के छेद को बंद कर दिया जिसके बारे में मुझे पता नहीं था अगर तुम चाहते तो उसे ऐसे भी छोड़ सकते थे
या फिर उसके लिए अधिक पैसे मांग सकते थे पर तुमने ऐसा बिल्कुल नहीं किया
जिसकी वजह से मेरे परिवार वाले सुरक्षित उस नाव में सवारी कर सके अगर तुम उस छेद को बंद न करते तो मेरे परिवार वाले डूब भी सकते थे
आज तुम्हारी वजह से वे सुरक्षित हैं इसलिए ये पैसे तुम्हारे मेहनत और ईमानदारी का है
बाबूलाल पर हुजूर फिर भी इस क्षेत्र को बंद करने के लिए इतने पैसे नहीं लगेंगे
जमीदार बस बाबूलाल बस अब तुम कुछ मत कहो ये पैसे तुम्हारे ही हैं तुम इसे रख लो
जमीदार की बात सुनकर और पैसे लेकर बाबूलाल बहुत खुश हुआ और कहने लगा बहुत-बहुत धन्यवाद जमीदार साहब
ऐसा कह कर वह खुशी-खुशी वहां से चला जाता है
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है कि हमें अपना काम हमेशा इमानदारी से करना चाहिए
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