किसी गांव में एक राम लाल नाम का एक व्यक्ति अपने परिवार के साथ रहता था रामलाल के परिवार में उसकी पत्नी और दो बेटे मोहन और श्याम थे 1 दिन मोहन और श्याम की अध्यापिका दो बच्चों को सांप लेकर उनके घर आती है
रामलाल अरे अध्यापिका जी आप इस समय हमारे घर में कैसे विद्यालय में सब ठीक तो है ना
अध्यापिका जी अभी तक तो सब ठीक है लेकिन आपके बेटे कुछ दिन और हमारे विद्यालय में रहे तो मुझे नहीं लगता वहां सब कुछ ठीक होगा
रामलाल नालायको अब क्या किया तुम लोगो ने
अध्यापिका यह क्या बोलेंगे मैं बताती हूं आज इन लोगों ने क्या किया है
अध्यापिका पहले तो इन लोगो ने गणित के अध्यापिका के ऊपर नकली छिपकली फेक दी
और समय से पहले ही छुट्टी की घंटी बजा दी इससे समय से पहले ही बच्चे घर चले गए
अध्यापिका की बात सुनकर रामलाल गुस्से से लाल हो जाता है और दोनों बेटों पर चिल्लाते हुए बोलता है तुम दोनों ने पूरे गांव में मेरी नाक कटवा रखी है मैं तुम दोनों से बहुत दुखी हो गया हूं
बेटे लेकिन पिताजी ये हमें मजबूरी में ये सब करना पड़ा
रामलाल अच्छा बताना जरा कोनसी मजबूरी थी जो तुमने गणित के अध्यापिका पर छिपकली फेकी और समय से पहले ही
छुट्टी की घंटी बजा दी
वो गणित के विषय पड़ते हुए सभी बच्चो को बहुत नीद आ रही थी
इसलिए हमने अध्यापिका पर छिपकली फेकी जिससे सारे बच्चे जग गए
और समय से पहले हमने छुट्टी की घंटी इसलिए बजाई क्योंकि हमारी पहली वाली शरारत
से प्रधानाचार्य आपको विद्यालय बुलवाना चाहते थे आपको वहा तक आने की परेशानी ना हो इसलिए समय से पहले छुट्टी करके हम अध्यापक को जी यहां ले आए
बच्चों की बात सुनकर रामलाल को बहुत गुस्सा आता है और वहां कमरे में रखा डंडा की ओर आगे बढ़ कर दोनों की तरफ तेजी से आगे बढ़ता है
रामलाल रुको रुको तुम दोनों कि आज खैर नहीं है
रामलाल अपने बेटों के पीछे डंडा लेकर भाग ही रहा होता है तभी उसकी पत्नी बाजार से सब्जी लेकर लौट रही होती हैं और रामलाल को बच्चो के पीछे डंडा लेकर देख वो उन लोगो के बीच में खड़ी हो जाती हैं
रामलाल की पत्नी आप इन दोनों को इस तरह मार क्यों रहे हो
रामलाल मारू नहीं तो क्या करूं इन शैतानों की पूजा करूं जरा अपने प्यारे बच्चों से पूछो कि आज ये स्कूल में क्या करके आए हैं
मां अपने बच्चों से कुछ पूछते इससे पहले मोहन अपनी मां से बोलता है मां आज पिताजी ने आपका पसंदीदा मटका फोड़ दिया जब हमने बोला हम आपको बता देंगे तो वो डंडा लेकर हमें मारने लगे हमने तो कुछ भी नहीं किया है ना मां वो बस अपनी गलती छुपा रहे हैं
बेटी की बात सुनकर मां को बहुत गुस्सा आता है और वहां डंडा लेकर अपने पति के पीछे भागने लगती है ये देख कर उनके दोनों बच्चे जोर जोर से हंसते हैं
इसके बाद दोनों भाई हंसते हुए बाहर चले जाते हैं और गांव में यहां वहां घूमने लगते हैं
भाई बहुत दिन से किसी को परेशान नहीं किया ऐसे तो हमें रात को नींद नहीं आएगी लेकिन परेशान करे तो करे किसको यहां तो कोई दिखाई भी नहीं दे रहा तभी उन्हें सामने से एक फल बेचने वाला दिखाई देता है
चलो भाई इसके साथ कुछ शैतानी करते हैं ये कह कर दोनों भाई पेड़ के पीछे छुप जाते हैं और जैसे ही फल बेचने वाला पेड़ के पास पहुंचता है तो वे दोनों भाई एक पेड़ की बड़ी शाखा फेंक देते हैं फल बेचने वाला सांप समझ कर डर जाता है और जोर-जोर से चिल्लाने लगता है वो जल्दबाजी में टोकरा वहीं फेंक देता है और वहां से भाग जाता है
उसे इस तरह भागता देख दोनों भाई बहुत खुश होते हैं दोनों भाई बहुत हंसते हैं उनके हंसी की आवाज सुनकर वहां से गुजर रहा एक गांव वाला वहां रुक जाता है ये दोनों शैतान हैं इतना क्यों हंस रहा है कहीं इन्होंने किसी को परेशान तो नहीं किया अच्छा इसलिए ये दोनों शैतान इतना हंस रहे हैं इन दोनों ने पूरे गांव की नाक में दम कर रखा है
अगर जल्दी ही इन्हें सुधारा नहीं गया तो एक दिन यह पूरे गांव को तबाह कर देंगे ये सब सोचते हुए वो आदमी गांव के सरपंच के पास जाता है और वहां मोहन और श्याम के बारे में सब कुछ बता देता है
सारी बात जानकर सरपंच रामलाल को बुलाता है
सरपंच रामलाल तुम्हारे बेटे बहुत ज्यादा शैतान है उन्हें सुधारने के लिए तुम कुछ करते क्यों नहीं
रामलाल सरपंच जी मैंने उन्हें सुधारने की बहुत कोशिश की लेकिन वह दोनों मेरी कोई बात नहीं मानते हैं मैं भी उनसे बहुत परेशान हूं
गांव में एक बहुत बड़े ज्ञानी बाबा आए हैं तुम अपने बच्चों को उनके पास ले लेकर जाओ उनके पास तुम्हारी परेशानी का जरूर हल होगा
और श्याम और मोहन को अपने सामने बैठा देते हैं
साधु बच्चों बचपन में शैतानी सब करते हैं लेकिन ज्यादा शैतानी करना बहुत गलत बात है
बच्चे लेकिन हम शैतानी भी बहुत समझदारी से करते हैं जिससे किसी को नुकसान भी ना हो
साधु अच्छा ऐसा है तो फिर अभी मेरे एक सवाल का जवाब दो
बच्चे ठीक है बताइए क्या सवाल है
साधु ये बताओ भगवान कहां है और वो हमें कहां मिलेंगे
साधु की बात सुनकर दोनों असमंजस में दोनों भाई एक दूसरे की तरफ देखने लगते हैं कुछ देर उनके जवाब का इंतजार करने के बाद साधु उनसे फिर एक बार पूछते हैं जल्दी बताओ कहां है भगवान
साधु के बार बार पूछने पर भी जब कोई जवाब नहीं देते तो साधु को गुस्सा आ जाता है और वो ऊंची आवाज में पूछते हैं
जल्दी बताओ भगवान कहां हैं अगर नहीं बताया तो तुम दोनों यहां से कहीं नहीं जा सकोगे
साधु बाबा की ये बोलते ही श्याम और मोहन अपनी जगह से खड़े हो जाते हैं और भागते हुए अपने पिताजी के पास जाते हैं पिताजी हमें यहां नहीं रहना आप जल्दी से हमें घर ले जाइए क्या हुआ बच्चों तुम इतने घबरा क्यों रहे हो
भगवान कहीं खो गए हैं और साधु बाबा को लगते हैं ये हमारी शरारत है इसलिए वो उनके बारे में हमारे से पूछ रहे हैं
लेकिन हमें तो भगवान के बारे में कुछ भी नहीं पता है
दोनों भाई की बात सुनकर रामलाल मन ही मन सोचता है आज पहली बार इन शैतानों को डरा हुआ देखा है अगर
साधु बाबा एक साधारण सा प्रश्न इन दोनों का ये हाल कर सकता है अगर मैं इन दोनों को कुछ दिनों के लिए यहां छोड़ जाऊं तो हो सकता है हो सकता है इनकी शैतानियां कुछ ही दिनों में खत्म हो जाए यह सोचकर रामलाल अपने बेटों के साथ एक बार फिर साधु बाबा के पास पहुंचता है
रामलाल बाबा इन दोनों की तरफ से मैं आपसे माफी मांगता हूं
इन्हें किसी चीज की समझ नहीं है और उसी नादानी में शैतानी करते हुए इन्होंने भगवान को कहीं छिपा दिया होगा लेकिन आप फिक्र ना करें यह जल्दी ही आपके भगवान के बारे में बता देंगे
रामलाल की बात सुनकर साधु बाबा असमंजस में पड़ जाते हैं रामलाल को कुछ बोलने ही वाले होते हैं की तभी रामलाल दोबारा बोल पड़ता है जी बाबा आप बिल्कुल भी फिक्र ना करें यह दोनों जल्द ही आपको भगवान का पता बता देंगे
और जब तक आप को भगवान का पता ना मिल जाए आप इन्हें इसी आश्रम में रख सकते हैं मुझे कोई परेशानी नहीं है
यह बोलकर रामलाल अपने दोनों बेटों को आश्रम में छोड़ कर चला जाता है रामलाल के वहां जाने के बाद साधु बाबा उन दोनों भाइयों को आश्रम का साफ सफाई का काम सौंप देते हैं बाद में वह हर रोज पूरे आश्रम की सफाई करते हैं और वही एक सवाल पूछते हैं जिसका जवाब उन दोनों के पास नहीं था
इसी देखते ही देखते कई दिन भी जाते हैं भाई हमें यहां से बाहर निकलने के लिए जल्दी कुछ करना पड़ेगा नहीं तो यह बाबा इसी तरह आश्रम की साफ-सफाई करवाते रहेंगे और सवाल पूछते रहेंगे लेकिन हम यहां से बाहर निकलेंगे कैसे आश्रम से बाहर निकलने की तरकीब सोचते हुए दोनों भाई फिर एक बार आश्रम की साफ सफाई करने में व्यस्त हो जाते हैं
हमें कभी भी किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए और ना ही जानबूझकर कभी किसी का नुकसान करना चाहिए जिसका नमक खाया हो उसे कभी भी दुखी नहीं करना चाहिए और जितना हो सके हमें अपने जीवन की मुसीबतों से भागने की बजाय शांति से उसकी हल ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए यह सब हमारे पाप और पुण्य में गिने जाते हैं साधु बाबा की बात सुनकर दोनों भाई अपनी की गई सभी शरारत और गलतियों का एहसास हुआ
भाई हमने अपनी शरारत तो से आज तक ना जाने कितने लोगों को परेशान किया
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