भौतिक विज्ञान में विराम अवस्था और गत्यावयस्था कि परिभाषा जानना बहुत जरूरी है।


तो हम इस पोस्ट में भौतिक विज्ञान के विराम अवस्था और गत्यावस्था के बारे में जानने वाले हैं

साथ ही साथ उसके उदाहरण द्वारा उसे पूरी तरह से समझने की कोशिश करेंगे






(1) विराम अवस्था:


जब कोई वस्तु समय के साथ अपने चारों ओर की वस्तुओं के सापेक्ष अपना स्थान परिवर्तित नहीं करती है तो उसे वस्तु की विराम अवस्था कहते हैं।



(2) गत्यावस्था :


जब कोई वस्तु समय के साथ अपने चारों ओर की वस्तुओं के सापेक्ष अपना स्थान परिवर्तित करती है तो उसे वस्तु की गत्यावस्था कहते हैं।




(3) जड़त्व :


किसी वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह अपनी विराम अवस्था या गत्यावस्था में खुद से ही परिवर्तन करने में असमर्थ होती है, उसका जड़त्व कहलाता है


जड़त्व दो प्रकार के होते हैं :

(1) विराम का जड़त्व


(2) गति का जड़त्व



(1) विराम का जड़त्व :


किसी वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह किसी बल की अनुपस्थिति में अपनी विराम अवस्था में परिवर्तन करने में असमर्थ होती है, विराम का जड़त्व कहलाता है।

अथवा


यदि कोई वस्तु स्थिर है तो स्थिर ही रहेगी, जब तक कि उस पर कोई बल ना लगाया जाए वस्तु के इस गुण को विराम का जड़त्व कहते हैं।



उदाहरण -

(1) एक गिलास के ऊपर कार्ड या कार्ड के ऊपर सिक्का रखकर यदि कार्य को तेजी से धक्का दिया जाए तो सिक्का गिलास में गिर जाता है।
इसका कारण यह है कि प्रारंभ में कार्ड और सिक्का विरामवस्था में होते हैं कार्ड को तेजी से धक्का देने पर कार्ड गत्यवस्था में आ जाता है किन्तु सिक्का जड़त्व के कारण विराम अवस्था मे ही रहता है और सिक्का क्लास में गिर जाता है


(2) मोटरसाइकिल के एकाएक चलने पर उसमें बैठे व्यक्ति पीछे की ओर गिर जाता है।
इसका कारण यह है कि मोटरसाइकिल के एकाएक चलने पर उसमें बैठे व्यक्ति के शरीर के नीचे का भाग गतिशील हो जाता है किंतु ऊपर का भाग जड़त्व के कारण विराम अवस्था में ही रहता है अंततः मोटरसाइकिल के चलने पर उसमें बैठे व्यक्ति पीछे की ओर गिर जाता है।


(3) कंबल को छड़ी से पीटने पर धूल के कण झड़ जाते हैं।
इसका कारण यह है कि छड़ी से पीटने पर कंबल गत्यावस्था में आ जाता है किन्तु धूल के कण  जड़त्व के कारण विराम अवस्था में ही रहते हैं अंततः  नीचे गिर जाते हैं


(4) बंदूक की गोली से खिड़की के कांच में स्पष्ट छेद बन जाता है कांच चटकता नहीं किंतु पत्थर मारने से का चटक जाता है।
इसका कारण यह है कि गोली का वेग अत्यधिक होता है।
अतः कांच की जितने भाग में गोली लगती है उतना ही भाग गतिशील होता है शेष भाग जड़त्व के कारण विराम अवस्था में ही बना रहता है जिससे कांच में स्पष्ट छेद बन जाता है।
पत्थर का वेग बहुत कम होता है अतः जितने बाग में पत्थर लगता है उस भाग के अतिरिक्त अन्य भाग में भी गत्यावस्था में आ जाता है कांच के भिन्न-भिन्न भागों में गति भिन्न-भिन्न होती है जिसके फलस्वरूप कहां चटक जाता है।






(2) गति का जड़त्व


किसी वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह किसी बल की अनुपस्थिति में अपनी गत्यावस्था में परिवर्तन करने में असमर्थ होती है गति के जड़त्व कहलाता है।

अथवा

यदि कोई वस्तु चल रही है तो वह उसी वेग उसी दिशा में तब तक चलती रहेगी जब तक कि उस पर कोई बल ना लगाया जाए वस्तु के इस गुण को गति का जड़त्व कहते हैं








उदाहरण -



(1) चलती बस में एकाएक ब्रेक लगाने पर उसमें बैठे व्यक्ति आगे की ओर झुक जाते हैं।
चलती बस में का एक ब्रेक लगाने पर शरीर के नीचे का भाग विराम अवस्था में आ जाता है किंतु जड़त्व के कारण ऊपर का गत्यावस्था  रहता है बस में बैठे व्यक्ति आगे की ओर झुक जाते

 हैं



(2) दौड़ते हुए घोड़े के एकाएक रुक जाने पर घुड़सवार आगे की ओर गिर जाता है
दौड़ते हुए घोड़े के एकाएक रुक जाने के कारण घुड़सवार के शरीर के नीचे का भाग विराम अवस्था में आ जाता है जबकि जड़त्व के कारण घुड़सवार के शरीर के ऊपर का भाग गति की दिशा में ही गत्यावस्था में रहता है घोड़े के रुक जाने के कारण घुड़सवार आगे की ओर गिर जाता है




(3) चलती हुई रेलगाड़ी से कूदने वाला व्यक्ति रेलगाड़ी की दिशा में गिर जाता है।
जैसे ही व्यक्ति जमीन पर कूदता है उसके पैर विराम अवस्था में ही आ जाते हैं किंतु शरीर का शेष भाग जड़त्व के कारण गत्यावस्था में ही रहता है अतः व्यक्ति रेलगाड़ी की दिशा में पड़ता है चलती रेलगाड़ी से उतरते समय व्यक्ति रेलगाड़ी की दिशा में कुछ दूर तक दौड़ना चाहिए।










न्यूटन का गति का प्रथम नियम है जड़त्व का नियम



न्यूटन के गति का प्रथम नियम के अनुसार यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है तो वहां विराम अवस्था में ही रहेगी और यदि कोई वस्तु गतिशील वस्तु में है तू गतिशील अवस्था में ही रहेगी जब तक कि उस पर कोई बल लगाया जाए


स्पष्ट है कि इस नियम का पहला भाग विराम के जड़त्व को और दूसरा भाग गति के जड़त्व को प्रदर्शित करता है यही कारण है कि न्यूटन के गति के प्रथम नियम को जड़त्व का नियम भी कहा जाता है


न्यूटन के गति के प्रथम नियम से स्पष्ट है कि यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है तो उसे व्यवस्था में लाने के लिए उस पर बल लगाना होगा उसी प्रकार यदि कोई वस्तु नियत वेग से एक सरल रेखा में चल रही है तो उसके वेग में परिवर्तन करने के लिए उस पर बल लगाना होगा यह भी स्पष्ट है कि वस्तु की गति की दिशा में परिवर्तन करने के लिए भी उस पर बल लगाना होगा


स्पष्ट है कि गति का प्रथम नियत बल की गुणात्मक परिभाषा देता है बल वह कारक है जो किसी वस्तु की विराम अवस्था या गति अवस्था में परिवर्तन कर देता है यह परिवर्तन करने का क्या करता है




न्यूटन का गति द्वितीय नियम



न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार किसी वस्तु के संवेग परिवर्तन की दर उस पर आरोपित बल के समानुपाती होती है और वह परिवर्तन बल की दिशा में ही होता है









न्यूटन का गति का तृतीय नियम




न्यूटन के गति के तृतीय नियम अनुसार प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है



न्यूटन के गति के तृतीय नियम के उदाहरण



(1) यदि कुएं में से पानी से भरी बाल्टी खींचते समय डोरी टूट जाती है तो खींचने वाला व्यक्ति पीछे की ओर गिर जाता है
व्यक्ति द्वारा डोरी पर लगाया गया बल क्रिया है इसके विपरीत प्रतिक्रिया बल दूरी के तनाव के माध्यम से बाल्टी पर लगता है जब डोरी टूट जाती है तो प्रतिक्रिया लुप्त हो जाती है अतः व्यक्ति क्रिया के बल के कारण पीछे की ओर गिर जाता है।



(2) राइफल से गोली चलाते समय राइफल चलाने वाले व्यक्ति को पीछे की ओर धक्का लगता है इसका कारण यह है कि जब राइफल चलाई जाती है तो बारूद के विस्फोट के कारण गोली तीव्र वेग से आगे की ओर बढ़ती है गोली किस बल के कारण आगे बढ़ती है राइफल पर उतना ही प्रतिक्रिया बल पीछे की ओर लगाती है अतः राइफल चलाने वाले व्यक्ति को पीछे की ओर धक्का लगता है




(3) एक व्यक्ति कीचड़ या रेत में चलने में कठिनाई अनुभव करता है क्योंकि वह इस स्थिति में कीचड़ ढंग से क्रिया बल नहीं लगा पाता

फलस्वरूप आगे बढ़ने हेतु उसे पर्याप्त प्रतिक्रिया बल उपलब्ध नहीं हो पाता




(4) बर्फ पर चलते समय पैर और बर्फ की संपर्क सतहों  के मध्य घर्षण बल कम होने के कारण व्यक्ति को आगे की ओर पर्याप्त प्रतिक्रिया बल प्राप्त नहीं हो पाता अतः पर्व पर चलने में कठिनाई होती है।





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