ईदगाह कहानी के प्रमुख पात्रों का परिचय दीजिए।
भारतीय जनमानस के कुशल चितेरा मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी ईदगाह भावनात्मक एवं बाल मनोविज्ञान पर आधारित है।
कहानी का मुख्य पात्र हामिद है जो अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। हामिद चार पाच साल का दुबला पतला लड़का है। उसके माता-पिता गत वर्ष गुजर चुके हैं।
परंतु उसे बताया गया है कि उसके अब्बा जान रुपए कमाने गए हैं। उसकी अम्मी जान अल्लाह मियां के घर उसके लिए अच्छी-अच्छी चीजें लाने गई है।
इसलिए हमीद आशा वाहन और प्रसन्न है। दादी अमीना के साथ वहां रहता है। ईद के अवसर पर गांव में ईदगाह जाने की तैयारी हो रही है।
सभी लोग कामकाज निपटा कर ईद के मेले में जाने की जल्दी में हैं।
दादी अमीना हामिद को तीन पैसे देकर मेला भेज देती है। हामिद के साथ उसके दोस्त मोहसीन महमूद नूरे और शम्मी भी हैं।
ईद में नमाज के पश्चात हामिद के दोस्त चरखी ऊपर झूलते हैं। परंतु हामिद दूर खड़ा रहता है खिलौना की दुकान में महमूद सिपाही, नूरे वकील, मोहसिन भिस्ती तथा शम्मी धोबिन खिलौने खरीदते है।
हामिद खिलौने की निंदा करता है परंतु साथ ही ललचाए निगाहों से उन्हें देखता भी है सभी मित्र मिठाइयां खरीदते हैं और हामिद को चिड़ा कर खाते हैं।
मेले के अंत में लोहे की दुकान पर चिमटा देखकर अमित को अपनी दादी अमीना का ख्याल आता है। दुकानदार से मोलभाव करके वह चिमटा खरीद लेता है। अमित के तर्कों के कारण उसके सभी दोस्तों को उसके चिमटे से प्रभावित हो जाते हैं।
घर पहुंचकर दोस्तों के खिलौने किसी न किसी प्रकार टूट जाते हैं। मगर उसका चिमटा कभी नहीं टूटता। अमित के घर पहुंचते ही दादी अमीना उसे गोद में बिठाकर प्यार करने लगती है।
चिमटा देख चौक जाती है। पूछने पर वह बताता है कि घुसने मेले से तीन पैसे में चिमटा मॉल लिया है। पूरे मेले में उसे कोई और चीजें नहीं मिली।
हामिद अपराधी भाव से बताता है कि दादी की उंगलियां तवे से जल जाती थी इसलिए उसके लिए चिमटा खरीदा।
यह सुनकर अमीना का क्रोध स्नेह में बदल जाता है। दादी अमीना एक बालिका के समान रोने लगती है।
इस तरह मुंशी प्रेमचंद जी ने बाल मनोविज्ञान का बहुत सुंदर व हृदय ग्रह चित्रण किया है।
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