Makar Sankranti 2022: क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति, जानें महत्व
भारत में14 जनवरी एक ऐसा दिन है, जो की हमारे भारतभूमि पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है ऐसा माना जाता है।
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सूर्य दक्षिण के बजाय उत्तर को परिक्रमा करने लग जाता है।
हमारे भारत देश में मकर संक्रांति के त्योहार को बड़ी धूमधान से मनाया जाता है। मकर सक्रांति त्यौहार हर साल 14 जनवरी या 15 जनवरी को आता है। इस पर्व के दिन को सूर्य का उत्तरायण होता है इसका मतलब है कि पृथ्वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि मकर सक्रांति त्यौहार के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इसीलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर सक्रांति त्यौहार के दिन राशि बदलने के साथ मे मकर संक्रांति के दिन को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है।
Makar Sankranti 2021
खरमास की समाप्ति और शुभ कार्यों की शुरुआत मकर सक्रांति पर
इस दिन को मकर संक्रांति के दिन में ही खरमास की समाप्ति हो जाती है और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। मकर संक्रांति के दिन को सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण तक का सफर बहुत ज्यादा महत्व रखता है। ऐसा कहां जता है कि सूर्य के उत्तरायण काल को ही सभी शुभ कार्य किए जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन पावन त्योहारों को गुड़ तथा तिल लगाकर नर्मदा नदी में स्नान करना मनुष्य के लिए बहुत लाभदायी होता है। उसके बाद दान संक्रांति में गुड़,तेल, कंबल, फल, छाता आदि का दान देने पर लाभ मिलता है और ऐसा करने पर इस दिन को पुण्यफल की प्राप्ति अवश्य होती है।
इस दिन को मकर संक्रांति के दिन में ही खरमास की समाप्ति हो जाती है और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। मकर संक्रांति के दिन को सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण तक का सफर बहुत ज्यादा महत्व रखता है। ऐसा कहां जता है कि सूर्य के उत्तरायण काल को ही सभी शुभ कार्य किए जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन पावन त्योहारों को गुड़ तथा तिल लगाकर नर्मदा नदी में स्नान करना मनुष्य के लिए बहुत लाभदायी होता है। उसके बाद दान संक्रांति में गुड़,तेल, कंबल, फल, छाता आदि का दान देने पर लाभ मिलता है और ऐसा करने पर इस दिन को पुण्यफल की प्राप्ति अवश्य होती है।
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